आध्यात्मिकता का अर्थ किसी विशेष प्रथा के अर्थ से नहीं है। यह होने का एक निश्चित तरीका है वहां पहुंचने के लिए बहुत से मार्ग हैं इसको यूं समझे की आपके घर में बगीचे एक बगीचा है, अब वहां अगर किसी पौधे को पर्याप्त मिट्टी, सूर्य की रोशनी, जल और खाद निश्चित रूप से मिले तो वह फलित हो ही जायेगा , फिर आपको कुछ करना होगा तो यह करना होगा की आपको उन जरूरी चीजों का ध्यान रखना होगा जिससे वह पौधा फलित होता रहे इसलिए यदि आप अपने शरीर, मन, भावनाओं और ऊर्जा को परिपक्वता के एक निश्चित स्तर तक खेती करते हैं, तो आपके भीतर भी कुछ और खिलता है- यही आध्यात्मिकता है।
यदि आप प्रक्रिया या सृजन का स्रोत जानना चाहते हैं, तो आपके लिए सृजन का सबसे घनिष्ठ हिस्सा आपका शरीर है। यही से आपको आपके सभी प्रश्नों के उत्तर प्राप्त हो जायेंगे।
क्या भगवान में विश्वास आपको आध्यात्मिक बनाता है?
एक नास्तिक आध्यात्मिक नहीं हो सकता लेकिन आपको समझना चाहिए कि एक आस्तिक भी आध्यात्मिक नहीं हो सकता है क्योंकि एक नास्तिक और आस्तिक अलग नहीं हैं। एक का मानना है कि ईश्वर है, दूसरा विश्वास करता है कि कोई ईश्वर नहीं है। उन दोनों को कुछ विश्वास है जो उन्हें नहीं पता है। आप यह स्वीकार करने के लिए ईमानदार नहीं हैं कि आप नहीं जानते, यह आपकी समस्या है, तो आस्तिक और नास्तिक अलग नहीं होते हैं वे वही लोग हैं जो अलग-अलग होने का एक कार्य करते हैं एक आध्यात्मिक साधक न तो एक आस्तिक है और न ही एक नास्तिक है।
आपको ध्यान के लिए सिर्फ ३० मिनट प्रतिदिन का निवेश करना है अगले ३० दिनों तक, इसके साथ ही आप अपना दिन बहुत ही अभूतपूर्व तरीके के साथ शुरू कर सकते हैं आप के भीतर आध्यात्मिक अनुभव का एक बहुत शक्तिशाली दर्पण है जो कि आपको अपने पूरे दिन में शांतिपूर्ण और खुशहाल बनाये रख सकता है। इसके अलावा इसे बनाए रखने के लिए, हर इंसान को एक साधारण चीज ही करनी है जिसे ध्यान कहते है आप अपनी दिनचर्या में ध्यान को शामिल करने की भावना को आप अपनी आवश्यकता बनाओ। यदि आप किसी व्यक्ति, पेड़ या बादल को देखते हैं, तो आप समान रूप (सम्यक द्रष्टि) से उसमे शामिल होते हैं, तथा आप अपने शरीर और स्वाभाविक साँस के साथ भी समान रूप से शामिल हैं। तब फिर अगर आपके पास कोई भेदभाव नहीं है जो की बेहतर प्रवत्ति है तो इससे यह अर्थ निकलता है की आप जीवन के हर पहलू के साथ समान रूप से शामिल हैं, फिर आप भी निरंतर आध्यात्मिक रूप से आध्यात्मिक हो सकते हैं, फिर किसी को आपको सिखाने या बताने की जरूरत नहीं है कि आध्यात्मिकता क्या है। बस इसी प्रकार से अपनी ध्यान की यात्रा को यूं ही बढ़ाते चले और अपनी अध्यात्मिक यात्रा पर आगे आगे और आगे बढ़ते चले जाये।
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