अक्षरों का इतिहास क्या है? ?
आइए हम कुछ सवालों से शुरू करते हैं:
हमारे आस पास की दुनिया ऐसी ही क्यों है?
हमारे हाथों में जो कागज़ है जिस पर अक्षरों के रूप में कुछ छपा हुआ है, ये अक्षर आखिर कहाँ से आए? ये इसी प्रकार के क्यों हैं? किसी और प्रकार के क्यों नही हैं?
जब मैं अपनी माँ से ये सवाल करता था, तो वो एक टक जवाब दे देतीं थीं।
‘सब कुछ ईश्वर ने बनाया है’
क्या आप लोग भी इसी जवाब से सन्तुष्ट हो जाएँगे ? खोजबीन नही करेंगे ? शायद अतीत में झाँकने पर इन सवालों का बेहतर उत्तर मिल जाए ! इसलिए हम अक्षरों से शुरू करते हैं।
इस देश में सबसे पुराना लिखा हुआ साक्ष्य क्या है ? वे अक्षर किस प्रकार के हैं ?
सबसे पुराने लिखित अक्षर हमें हड़प्पा से प्राप्त मुहरों पर मिलते हैं। इन अक्षरों को हम पढ़ना भूल गए हैं।
इसलिए हड़प्पावासियों से हमारा संवाद अधूरा रह जाता है। वे हमारे लिए मात्र भौतिक अवशेष छोड़ गए हैं। हम हड़प्पावासियों के बारे में विस्तार से चर्चा फिर कभी करेंगे। यहाँ हड़प्पन अक्षरों के कुछ नमूनें हैं :
विद्वानो का मानना है कि लेखन के इस तरीके में अक्षरों को दायें से बाएं की तरफ लिखा जाता था। हिंदी एवं अंग्रेजी के अक्षरों को लिखने के ढंग से उलट। हड़प्पा के अक्षरों के बाद जो लिखित अक्षर हमें मिलते हैं वे हैं अशोक के बड़े बड़े अभिलेख। मौर्य वंश के इस राजा ने पूरे देश भर में अपने संदेशों को बड़े बड़े पत्थरों पर खुदवाया। पत्थरों पर ही क्यों खुदवाया इस सवाल का जवाब आप लोग खुद ही तय करिये। इन अक्षरों को
ब्राह्मी लिपि के अक्षर कहा जाता है। इसके नमूने निम्न हैं :
यह चित्र अशोक के स्तम्भ से लिया गया चित्र है। दूसरा यानी नीचे वाला चित्र इसे पढ़ने योग्य बनाने के पश्चात का है। जैसा कि आप देख रहे हैं ये अक्षर भी हमसे अपरिचित ही दिख रहे हैं। केवल इन कुछ विशेषज्ञ ही इन अक्षरों को पढ़ पाएंगे। इन अक्षरों को पढ़ना भी हम भूल चुके थे। परन्तु एक विद्वान ने अपनी अथक कोशिशों के बदौलत 1838 में इन अक्षरों की पहचान कर ली। इस प्रकार अशोक के अभिलेखों पर लिखे संदेशों से हम अवगत हो पाए। ये अक्षर निम्न थे :
ब्राह्मी लिपि के ये अक्षर ही समय के साथ परिवर्तित होते गए और वर्तमान समय में लिखी जाने वाली अनेक भाषाओं की लिपियाँ (यानी अक्षरों के प्रकार ) विकसित हुईं।